Thursday, July 29, 2010

इस देश की चोकलेट खानी है... (हास्य कविता)

एक विधायक महोदय अमरिका से वापस आये
साथ में थेले भर टोब्लर चोकलेट लाये
विधायकने अपनी बीबी से कहा
संभालकर रखना
पार्टी अध्यक्ष को देना है
बदलेमे अपने विस्तार का टिकट लेना है
दो दीन बाद पार्टी अध्यक्ष उस विधायक के घर आये
विधायक ने तोह्फे के तोर पर वोह चोकलेट मंगवाये
बीबीने किचन से लेकर अल्मारी तक ढुंढा
न मिले चोकलेट और न मिला रेपर का टुकडा
विधायककी बीबीने अपनी परेशानी सबके सामने सुनाई
विधायकने खडे खडे अपनी बीबीको एक थप्पड लगाई
तबही विधायकका लडका बोला
मत मारो मेरी अम्मी को बबाल हो जायेगा
आपको जो सवाल के जवाब चाहिये वोह मिल जायेगा
अब विधायक अपने लडके पर घूरके और बोले
लगता है सारे चोकलेट तुम ही खाये हो
पार्टी अध्यक्ष के सामने मेरा नाक कटवाते हो
तबही बेटा बोला चोकलेट मैने नही मेरे टेड्डी ने खाये है
विधायकजी उछले, टेड्डी चोकलेट कैसे खा सकता है
वोहतो निर्जीव है, वोह कंहा कुछ खा सकता है
तबही बेटा बोला
आपकी पार्टीके मंत्रीजी अगर गाय का घांस खा सकते है
तो एक विधायकके बेटे का टेड्डी चोकलेट भी तो खा सकता है
बस उतना सुनकर पार्टी अध्यक्ष दरवाजे तरफ चल दिये
विधायक अपनी झोली फेलाकर रो दिये
माफ़ करना बच्चा है, अक्ल का कच्चा है
आपको इससे बढिया तोहफा मिलेगा
बस टिकटमे मेरा ही नाम रहेगा
पार्टी अध्यक्ष हंस कर बोले टिकट तो तुम्हे ही देंगे
और आपके बेटे को पार्टी में शामिलभी करेंगे
क्युंकि अभी भी इस देश की जनता सो रही है
और बस सिस्टम को रो रही है
हमे भी पार्टी आगे बढानी है
और फिर एक विधायक के बेटे के टेड्डी को
इस देश की चोकलेट खानी है
और फिर एक विधायक के बेटे के टेड्डी को
इस देश की चोकलेट खानी है...
 
योगेन्दु जोषी : २९/०७/२०१०

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