Saturday, July 24, 2010

बाल का बबाल... (हास्य कविता)

कल नायी की दुकान गया था
सोचा बाल कटवालुं
तीन महीने से बीबी डांट रही है,
आज उसका मान बढालुं
नायी बोला बहोत दिनो बाद आये हो
बडी महेनत से बाल बढाये हो
कोनसा हेयर स्टाईल चाहीये,
जरा भावपत्रक की ओर नजर घुमाईये.
नायी के रेट देखकर रह गया दंग
महंगाईने यंहा पर भी मचाया आतंक 
सिर्फ बाल काटना बीस रुपये पर इंच
हेयर स्टाईल अलगसे दस रुपये पर इंच
यह देख कर मे बोला
अत्याचार है कैसा ये व्यापार है,
समजाओगे?
द्स रुपये कलतक लेते थे,
आज क्या उल्लु बनाओगे?
नायी जोर से चिल्लाया
कल की बात और थी
हमे बीजनस सेन्स नही थी
लोग दस रुपये मे बाल और
पांच रुपये मे मुंडन कर जाते थे
फीर तीन चार महीने तक
ओंदे मुंह घुम जाते थे
और महंगाई मे सबके बाल झड रहे थे
और हमे खाने के लाले पड रहे थे
तबही मेरे MBA हुए बेटे ने बताया
और बीजनस का नया तरकब सीखलाया
अब आप बोलिये आप को क्या करना है
कितने इंच बाल काटना है
मन ही मन सोचा इससे अच्छा मुंडन करवा दुं
सारी परेशानी झटके मे नीपटा दुं
तबही नायी बोला मुंडनका सोचना भी मत
लास्टवाली लाईन पढो जंहा छपा है भावपत्रक
वहां जो लिखा था वो भी सुनलो भाई
नायीने क्या खुब अकल है लगाई
अगर किसीकी मोत हुई है
तो देथ सर्टिफिकट दिखाओ
और भारी डीसकाऊंट पाओ
नहीतो उसे हेयर स्टाईल गीनेंगे
और दाम तीस रुपये प्रति इंच होंगे
बस वह पढते ही जमीन पांव से खीसक गयी
बाल कटवानेकी बीमारी दिमाग से उतर गयी
घर जा के सारी कहानी बीबी को सुनाई
उसने गुस्से मे मेरे सर पर बेलन चलाई
सर फुट गया ले जाया गया सरकारी हस्पताल
डाक्टरने ड्रेसिंग भी किया और काटे मेरे बाल
सब मामला बीस रुपये मे नीपट गया
तब ही बीबी बोली, सुनियेतो कैसा मैने दिमाग चलाया
अब जबभी बाल कटवाने हो तो बोल देना
और बचे हुए रुपयो से एक साडी दिलवादेना
और बचे हुए रुपयो से एक साडी दिलवादेना...
 
योगेन्दु जोषी : २४/०७/२०१०

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